KORBA खदानों की सुरक्षा पर हर माह लाखों खर्च करने के बाद भी एसईसीएल प्रबंधन कोयला चोरी पर नही लगा पा रहा अंकुश, प्रतिमाह हो रहा करोड़ो के कोयले का काला कारोबार, सुरक्षा पर उठने लगे सवाल,
कोरबा:- कुछ माह पूर्व प्रदेश भाजपा महामंत्री आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी ने जिले की एक खदान का वीडियो ट्विटर हेंडल से वायरल किया था, जिसके बाद बवाल मच गया था तथा बांकीमोंगरा थाने में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। उक्त वीडियो की कितनी सच्चाई थी, इसका खुलासा आजतक नही हुआ लेकिन प्रशासन ने संवेदनशीलता दिखाते हुए खदानों के सुरक्षा अधिकारियों एवं प्रबंधन की बैठक लेकर चोरी रोकने सख्त निर्देश दिया था। वहीं अब एक बार फिर जिले की कई खदानों में कोयला चोरी की पुष्ट जानकारी सामने आ रही है और बताया जा रहा है कि सफेद पोश लोग फिर से कोयले के धंधे में हाथ काला कर करोड़ो की कमाई में लग गए है। जिले के दीपका क्षेत्र और बुड़बुड़ खदान से कोयला चोरी ने फिर जोर पकड़ लिया है। जहां महीने भर में लगभग एक करोड़ से अधिक के कोयले का काला कारोबार हो रहा है। किन्तु खनिज विभाग तथा एसईसीएल प्रबंधन इस ओर गंभीर दिखाई नही दे रहा है। जिससे शासन को करोड़ों की राजस्व की क्षति हो रही है।
ग्रामीणों को पैसे का लालच दे खुलेआम करा रहे कोयला चोरी- दीपका खदान क्षेत्र के प्रभावित ग्राम मलगांव, आमगांव व हरदीबाजार और पाली स्थित बुड़बुड़ के राहाडीह, टेंवापारा के लोगों के मुताबिक कोयला चोरी का मास्टरमाइंड द्वारा गांव के ग्रामीणों को पैसे का लालच देकर उनसे अवैध रूप से कोयला का चोरी करवा भंडारण करवा रहे हैं। इस काम के बदले महिलाओं को पैसे तथा पुरुषों को पैसे के साथ शराब भी दी जाती है। चोरी में उक्त प्रभावित गांव के दर्जनों महिला- पुरुष शामिल हैं।
पुलिस की अनेको कार्यवाही लेकिन खनिज विभाग निष्क्रिय- जानकारी में मुताबिक दीपका क्षेत्र से जो चोरी का कोयला निकलता है वह बलौदा मार्ग या फिर बिलासपुर की ओर जाता है, जबकि बुड़बुड़ के कोयला खदान से हुए चोरी का कोयला सीमावर्ती जिला बिलासपुर में संचालित कोल डिपो में खपाया जाता है। कोयले कि चोरी और तस्करी का मामला पुलिस के संज्ञान में आने पर अनेको बार कार्यवाही की है किंतु खनिज विभाग तो बिल्कुल इन सबसे परे कुंभकरण की भांति गहरी निंद्रा में लीन है। जिससे खनिज विभाग की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि चोरी की घटना को चोर तो अंजाम दे रहे हैं, लेकिन खनिज विभाग का सूचना तंत्र अबतक चोरों तक पहुँचने में नाकाम है।
सुरक्षा के दावो के बाद भी समझ से परे कोयला चोरी- प्रशासन की बैठक के बाद एसईसीएल प्रबंधन ने कोयला चोरी पर लगाम कसने के लिए सभी खदानों में कड़ी सुरक्षा के साथ ड्रोन कैमरा की निगरानी पर लाखों रुपए खर्च किये और दावा किया जा रहा है कि कोयला चोरी नही हो रही है। कुछ दिन पूर्व कुसमुंडा खदान का ड्रोन कैमरा क्षतिग्रस्त हालत में मिला, कहीं यह साजिश का हिस्सा तो नही था। सराईपाली परियोजना के बुड़बुड़ खदान और दीपका, गेवरा खदान क्षेत्र व हरदीबाजार में आज भी हर माह करोड़ो के कोयले का काला बिजनेस चालू है। ऐसे में खदान की सुरक्षा पर हर माह लाखों खर्च करने के बाद भी कोयला चोरी पर रोक नही लगा पाना समझ से परे है।