ये क्या गजब हो गया सहा. खाद्य अधिकारी को दे दिया फूड इंस्पेक्टर का चार्ज, कोरबा में बह रही उल्टी गंगा !
कोरबा: आपने जूनियर अधिकारी को सीनियर पोस्ट में प्रभारी के रूप में काम करते देखा होगा लेकिन सीनियर जूनियर के पोस्ट पर काम करें तो आप क्या कहेंगे। जी हां, कोरबा जिले के खाद्य विभाग में कार्यों के बंटवारे को लेकर गंभीर अव्यवस्था की स्थिति सामने आ रही है। यहां एएफओ को फूड इंस्पेक्टर का चार्ज दे दिया गया है। यह तब कि स्थिति है जब कोरबा में 6-6 इंडपेक्टर मौजूद है लेकिन एएफओ को जूनियर पद इंस्पेक्टर का अतिरिक्त चार्ज दे परेशान किया जा रहा है।
कोरबा में डिस्ट्रिक्ट फूड ऑफिसर घनश्याम कंवर की पदस्थापना के बाद पीडीएस दुकानों की व्यवस्था में सुधार की उम्मीद थी, परंतु यहां तो उलट स्थिति दिखाई दे रही है। ब्लॉक स्तर पर असिस्टेंट फूड ऑफिसर्स (एएफओ) से फूड इंस्पेक्टर का कार्य कराया जा रहा है, जिससे विभागीय कार्यों में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
कटघोरा में पूर्व में पदस्थ मुकेश अग्रवाल को पाली ब्लॉक में फूड इंस्पेक्टर का कार्य सौंपा गया है, जबकि पोड़ी उपरोड़ा में एएफओ सरोज उरैती अकेले बिना किसी फूड इंस्पेक्टर के कार्यभार संभाल रही हैं। यह स्थिति न केवल कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि बड़े और दुर्गम क्षेत्र में काम करने के लिए आवश्यक जनशक्ति के अभाव को भी दर्शाती है। पहाड़ी क्षेत्र में पीडीएस दुकानों का निरीक्षण और कार्रवाई जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य अकेले संभालना किसी मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं है।
खाद्य विभाग में वर्तमान में 6 फूड इंस्पेक्टर और 2 एएफओ पदस्थ हैं, बावजूद इसके एएफओ को इंस्पेक्टर का कार्य सौंपा गया है। विभागीय कार्यों के लिए एक फूड इंस्पेक्टर को कार्यालय में स्थायी रूप से रखने का निर्णय भी सवालों के घेरे में है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीडीएस दुकानों की नियमित जांच नहीं हो पाने से लाभार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विभाग की इस व्यवस्था से पीडीएस दुकानों के कामकाज में लापरवाही की संभावना बढ़ रही है। यह देखना होगा कि जिले में पर्याप्त फूड इंस्पेक्टर होते हुए भी क्यों सहायक खाद्य अधिकारियों से फूड इंस्पेक्टर का कार्य लिया जा रहा है।