कोरबा खबर

हाथियों की जीवन से खेल रहे लोग, कहीं तीर धनुष से तो कहीं टांगिया से करते हैं प्रहार।

जितेन्द्र सारथी स्नेक रेस्क्यू टीम कोरबा

छत्तीसगढ़ राज्य पिछले कुछ वर्षो से हाथियों को लेकर काफ़ी परेशानी झेल रहा, राज्य के कुछ जिले हाथियों प्रभावित क्षेत्र हो चुका हैं, लगभग 15 वर्ष पहले झारखंड उड़ीसा से हाथीयो का आना चालू हुआ उसके बाद लागातार आने लगें, झारखंड उड़ीसा से रायगढ़ के रास्ते आना चालू हुआ जहां जंगल में भरपूर मात्रा में उनके लिए भोजन और आसानी से पानी मिल जाने के कारण महीनों तक रुकने लगे, यह सिलसिला सालों साल चलता रहा और आज कई जिले से गुजरते हुए फिर एमपी, झारखंड, उड़ीसा की ओर निकल जाते हैं, पर धीरे धीरे के इंसानों के साथ हाथियों का टकराव बढ़ता चला गया और आज हालत ऐसे हो गए हैं की लोग हाथियों को मारने पर उतारू हो गए हैं, इस बात को गहराई से समझना ज़रूरी हैं की आखिरकार यह इस्तिथि निर्मित क्यू हो रही, खबरों में लगातार हाथियों को उत्पाद या आतंक से संबोधित किया जाता हैं जिसके कारण आज हाथी पूरी तरह बदनाम हो गए हैं जबकि वास्तुविकता इसके विपरित हैं, यह कहना गलत नहीं होगा कि हाथी पुरे पृथ्वी में सब से ज़्यादा बुद्धिमान जीव है जो परिवार बना कर रहते हैं और एक जंगल से दूसरे जंगल विचरण करते हुए अपने कुनबे को आगे बढ़ाते हैं, यह समझना ज़रूरी हैं की इन कुछ वर्षो में लगातार विकास की भेट चढ़े जंगल लगातार कम हुए हैं, जंगल के भीतर लोग अपना घर, खेत बना कर रहने लगे हैं, बचे खुचे जंगल में लोग बड़े पैमाने में पेड़ काट कर अपना घर बना रहे और जब उसी रास्ते वो विचरण करते हुए आगे बढ़ते हैं तो लोग इनको तीर धनुष, भाला, गुलेल, टंगिया, फटका मसाल लेकर खदेड़ते है वहीं हाथी अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर उसका जवाब देते हैं तो कोई जन हानि हो जाती हैं जिसके बाद लोग बोलते हैं हाथी ने आदमी, महीला या बच्चें को कुचल दिया, कई बार देखा गया हैं लोग 100 100 लोग मिलकर जुड़ तो देखने के लिए जंगल भीतर चले जाते हैं और फिर जब गुस्से से कोई हाथी दौड़ाता है तो कोई एक उसकी चपेट में आ जाता हैं फिर वही लोग कहते हैं हाथी ने आदमी को मार दिया, आज वास्तव में हाथियों की होने की वज़ह में हमारा जंगल बचा हुआ हैं, नहीं तो लोग जंगल में घूस घूस कर पेड़ काट लेते, लोगों को यह समझना ज़रूरी हैं की जंगल उनका घर हैं और इंसानों ने उनके घरों में कब्ज़ा किया है, हाथियों को अगर न खदेड़ा जाए, उनको न परेशान किया जाए तो वो जंगल ही जंगल यह से वहा विचरण करते हुए निकल जाएंगे।

वन विभाग लगातार लोगों को जागरुक करते रहता हैं पर गांव के लोग इस बात को नहीं समझते बल्की उल्टा वन विभाग को बोलते हैं यह तुम्हारा हाथी हैं इसको तुम अपने पास रखो, हम अपना फसल बचाएंगे और हाथी को मारेंगे, कभी कभी गांव वालो के साथ वन विभाग के कर्मचारियों के साथ नोक झोंक तक हो जाती हैं।

जहां लोग गणेश चतुर्थी आने पर गांव गांव में मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना करते है और खुशी मनाते हैं वहीं जब हाथी लोगों के फसल को नुक्सान करता हैं तो गंदी गंदी गालियां देकर अपना मन रखते हैं।

Jitendra Dadsena

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