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किसान के खून पसीने की फसल का आदिम जाति सेवा सहकारी समिति बिंझरा , तानाखार और करतला ब्लॉक के करतला में किया जा रहा गबन।

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किसान के उगाए फसल की कीमत सिर्फ उसे उगाने वाला समझ सकता है इसको लेकर मुख्यमंत्री ने उन्हें बोनस वितरण कर प्रोत्साहित कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उन किसानों से धान खरीदी समिति के द्वारा अतिरिक्त धान लिया जा रहा है जो कहीं ना कहीं किसानों के खून पसीने की कमाई का आहरण अपने निजी स्वार्थ के लिए कर रहे हैं ऐसा मामला पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के बिंझरा , तानाखार और करतला ब्लॉक के करतला में सामने आया जहां किसानों से 40 किलो धान से अधिक धान वसूली की जा रही है लेकिन किसान इसकी शिकायत किसी से नहीं कर पा रहा हमारे संवाददाता के द्वारा जब धान खरीदी समिति के प्रभारी बिंझरा से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया जुट बोरा में 40 किलो 750 ग्राम लिया जा रहा है और प्लास्टिक बोरा में 40 किलो 300 ग्राम लिया जा रहा है

करतला में 40.900 और 40.300 लिया जा रहा है

तानाखार में 40.900 और 40.350 लिया जा रहा है

जहां जुट बोरा 530 ग्राम का है और प्लास्टिक बोरा 100 ग्राम का वजन था किसानों से 40 किलो धान से अधिक धान क्यों लिया जा रहा है इसके जिम्मेदारी जिन अफसरों के सर पर है वह क्यों अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं अधिकारियों के उदासीन रवैया का फायदा धान खरीदी समिति द्वारा उठाया जा रहा है नमी मापक यंत्र होने के बाद किसानों से सूखता के नाम पर प्रति बोरा 200 ग्राम अतिरिक्त धान लिया जा रहा है जबकि नमी मापक यंत्र से धान की नमी का विश्लेषण कर धान खरीदी करना है इस प्रकार से अगर धान खरीदी समिति द्वारा प्रति बोरा 200 ग्राम अतिरिक्त लेने पर एक किसान का 400 बोरा धान होने से 400बोरा ×.200ग्राम =80 किलो अतिरिक्त धान समिति द्वारा लिया जा रहा है अगर इसको समिति में पंजीयन ( माना कि एक समिति में लगभग 500 किसानों का पंजीयन है और प्रति किशन 400 बोरा धान का बिक्री किया जाता है तो प्रति किसान 80 किलो ×500 पंजीयन किसान = 40,000 किलो धान की अवैध उगाही की जाती है जिसका मूल्य बोनस और समर्थन मूल्य 2650 = 10,60,000 रुपये होते ) सभी किसानों से अगर 80 किलो की अतिरिक्त धान लिया जाए तो बून्द बून्द से घड़ा भरने जैसा होता है जिसका किसानो को पता नही चलता और अपनी गढ़ी कमाई का एक हिस्सा जाने अनजाने समिति प्रबंधक को दे देते है जो समिति प्रबंधक बून्द बून्द से घड़ा भर कर किसानों के हक पे डाका डाल रहा है ऐसे करने वाले समिति प्रबंधक पर कब कार्यवाही होती है देखने की बात होगी शासन एक तरफ जहां भ्रष्टाचार मिटाने के लिये उपाय कर रही है वही ऐसे भ्रष्टाचार करने वालो के लिए सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए जिससे भोले भाले गरीब किसानों के मेहनत की कमाई कोई लूट न सके । धान खरीदी में पूर्ण पारदर्शिता के साथ खरीदी की जानी चाहिये ।

जो पारदर्शिता शासकीय राशन दुकानों में ब्लूटूथ और इपोस मशीन से आई है इपोस से डायरेक्ट कितनी राशन हितग्राहियो को मिली इसकी स्लिप दी जाती है जिसमे मूल्य अंकित होता है इसे भ्रष्टाचार खत्म करने का कारगर उपाय माना गया है और गरीबो को उनका हक मिला है इसी प्रकार से वजन का कांटा का स्लिप निकाल कर प्रति बोरा वजन स्लिप किसानों को दिया जाना चाहिये जिससे भोले भाले किसानों को कोई लूट न सके। और धान खरीदी में पारदर्शिता लायी जा सके ।

बाहर से धान लाकर खपाया जाता है समितियों में इसकी भनक लगने पर समय समय पर कार्यवाही की जाती रही है लेकिन इस पर पूर्ण विराम नही लगा सके ।

Jitendra Dadsena

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