42℃ में बिना पंखों और लाइट के रहते है 0 से 5 साल के बच्चे। चोरी की बिजली से चलता है आंगनबाड़ी केंद्र का पंखा और लाइट। भवन का फर्श पूरी तरह तबाह जहरीले जीव जन्तुओ के बीच रहने को मजबूर बच्चे।
कोरबा। नौनिहालों को अक्षर ज्ञान देने, गर्भवती माताओं को पोषण आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है ।लेकिन दशकों पुराने हो चुके भवन अब अपने जीर्णोद्धार की पुकार अधिकारियों से लगा रहे हैं । तस्वीरों में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि 15 ब्लॉक कॉलोनी में बना हुआ आंगनवाड़ी केंद्र किस तरह जर्जर हो चुका है।। कभी भी यह भवन गिर सकता है । लेकिन इन सब के बाद भी यहां बच्चों को पढ़ाया जा रहा है । भवन में ना तो लाइट की व्यवस्था है ना ही पानी की ऐसे में यहां पहुंचने वाले बच्चों और माताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने जिम्मेदारियों से बचते नजर आ रहे है बच्चो के बैठने खेलने की जगह नही है रूम का फर्श जगह जगह से टूट गया है आंगनबाड़ी केंद्र के अन्दर जहरीले जीव जंतु निकलते ही रहते है दरवाजे खिड़की टूट चुके है टॉयलेट के दरवाजे मरम्मत की राह देखते देखते दम तोड़ रहे है गर्भवती महिलाओं और माताओ के प्रसाधन की नही है समुचित व्यवस्था। बच्चों के भविष्य से खेलने वाले विभाग के जिम्मेदार अधिकारी श्रीमती प्रीति कॉल करने पर जवाब देना भी उचित नही समझती है आंगनबाड़ी केंद्र से लगा हुआ कचरे का अंबार ठेकेदार अपनी मनमानी करते हुए कचरे को आंगनबाड़ी केंद्र में।लाकर पटक कर चले जाते है यहाँ पंप हाउस के साथ 15 ब्लॉक का कचरा डंप कीया जाता है हफ्ते में 1 बार कचरे का उठाव किया जाता है इसके जलने और सड़ने से निकलने वाले बदबू से बच्चो को विभिन प्रकार की बीमारियां हो सकती है
कुछ हफ़्तों पूर्व हुये बारिश से आंगनबाड़ी भवन के छत से पानी का रिसाव हुआ उस रिसाव से आंगनबाड़ी भवन का पंखा जल गया है जिसे आज तक सुधारा नही गया है
मवेशी इन कचरों से पॉलीथिन और अन्य खाने की वस्तुएं खाने को विवश है
क्या आंगनबाड़ी का मतलब सिर्फ दालिया तक सीमित है?
आंगनबाड़ी केंद्र से लगा हुआ कचरे का अंबार बहुत कुछ कहता है लेकिन अधिकरी आँख मूंद कर निरीक्षण कर जाते है।
कोरबा जिले के शहरी में ऐसे कई आंगनबाड़ी केंद्र है जो चोरी की बिजली से रोशन है
कई आंगनबाड़ी मरम्मत की राह देखते देखते दम तोड़ रहे है लेकिन विभाग उदासीन रवैया अपनाए हुए है
विभाग अपने आप को बचाने की कोशिश करता है कहता है हम बच्चो को आंगनबाड़ी भवन अन्दर नही ले जाते है उनको खाना पड़ोस के घरों में खिलाया जाता है लेकिन ये बात पूरी तरह गलत है बच्चे की माता ने बताया कि बच्चों को आंगनबाड़ी भवन के अन्दर छोड़ कर जाते है और वापस यहां से लेकर जाते है
अगर विभाग की बात मान ली जाए तो क्या आंगनबाड़ी में कार्य करने वाले सहायिका और कार्यकर्ता की जान की जिम्मेदारी किसकी है सहायिका और कार्यकर्ता उसी जर्जर भवन में बैठ कर बच्चो के जाने के बाद अपना कार्य संपादित करने में लगे है
खबर प्रकाशन के बाद विभाग सफाई ठेकेदार और निरीक्षण करने वाले अधिकरी के ऊपर किस प्रकार की कार्यवाही करता है देखने की बात होगी
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