स्टेडियम में लूट से, व्यापारियों में आक्रोश। दीपावली के बाद फुट सकता है गुस्सा ।
दिवाली के वो 7 दिन फटका व्यवसायी बारूद के ढेर में सोता है मात्र इसी उम्मीद पर की उससे कमाए हुए चंद रुपये घर मे बच्चों के लिए चार दिन की खुशियां खरीद सके इसके एवज में प्रियदर्शनी इंदिरा स्टेडियम में 7 दिन फटका व्यवसायी बारूद के ढेर में सोता है वहीं अपना 7 दिन परिवार से दूर अपना बसेरा बना लेता है वही घर पर बीवी और बच्चे,मां बहनें चिन्ता की नींद सोती है दिवाली भी उसी मैदान में मनती है पर क्या फटाका संघ सिर्फ और सिर्फ व्यवसाइयों से दोहन करने में मशगूल रहते है, यहां बताना लाजमी होगा कि प्रशासन की व्यवस्था के हिसाब से फटाका दुकाने शहर से दूर यानि प्रियदर्शनी इंदिरा स्टेडियम के बाहरी मैदान में लगाई जाती है इसके लिए फटाका व्यवसायी अपनी एक कार्यकारिणी बनाकर व्यवस्थाओं का संचालन करते है लेकिन इस वर्ष फटाका व्यवसाय अपनी कार्यकारिणी के प्रति असंतुष्ठ नजर आ रहे है जिसका मुख्य कारण दुकान के एवज में भारी भरकम राशि की वसूली बताई जा रही है दुकानदारों ने बताया कि कुल 124 दुकाने बनाई गई है जिनसे प्रति दुकान दस हजार रुपये लिए गए हैं जिसकी कुल राशि 12 लाख 40 हजार होता है जिसमे खर्च के नाम पर 1600 रुपये टेंट का खर्च,1600 रुपये बिजली का खर्च एवं 161 रुपये नगर पालिक निगम का टेक्स शामिल है वही फायर ब्रिग्रेड का वाहन एवं सुरक्षा कर्मी सहित अन्य खर्च मिलाकर कुल 4000 रुपये प्रति दुकान के हिसाब से 4 लाख 96 हजार रुपये कुल खर्च किया जाना है अर्थात 12 लाख 40 हजार में 4 लाख 96 हजार रुपये घटा दिए जाएं तो कुल 7 लाख 44 हजार रुपये की बचत का हिसाब कौन देगा यह बताना लाजमी होगा कि इस बचत राशि का किसी भी वर्ष कोई हिसाब नही मिलता है ।दूसरों की दिवाली मनवाने के लिए बारूद के ढेर में 7 दिन गुजरने वाले फटका व्यवसाइयों से वसूली गयी राशि का बदरबंट कर एक तरह से व्यवसाइयों को संघ के पदाधिकारी मुँह चिढ़ाते नजर आते है, इस वर्ष फटका व्यवसाइयों में आक्रोश भरा हुआ है जो फटाका दुकान के बंद होने साथ ही फूटने की संभावना है व्यवसाइयों ने दीवाली के बाद संघ से हिसाब मांगने का मन बना लिया है अन्यथा शिकायत करने आमादा होंगें,