स्कूलों में नहीं है गैस कनेक्शन, लकड़ी के चूल्हे पर बन रहा मध्याह्न भोजन, भोजन बनाने वाली महिलाओं की जुबानी दर्द की कहानी,
आज भी सैकड़ो स्कूलों में लकड़ी में बन रहा खाना, भोजन बनाने वाली माताओं का फूल रहा दम,
कोरबा जिले में मध्याह्न भोजन चूल्हे पर बनाया जा रहा है। कई स्कूलों में आज भी रसोई गैस कनेक्शन ही नहीं हैं तो कई स्कूलों में गैस सिलेंडर चोरी हो चुके हैं। लकड़ी के चूल्हे से उठने वाले धुएं से बच्चों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। मामला तब उजागर हुआ जब हमारी टीम स्कूल में पहुंच कर खाना बनते देखा,
जहां एक तरफ केन्द्र सरकार ‘उज्जवला’ योजना के जरिए गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन मुहैया करवा रही है तो वहीं जिले के सैकड़ो स्कूलों में आज भी लकड़ी पर ही खाना पकाया जा रहा है. जिले के सैकड़ो स्कूल आज भी विकास की मुख्य धारा से पूरी तरह से नहीं जुड़ पाए हैं. आज भी इन स्कूलों में सरकार की योजनाओं का लाभ ठीक से नहीं मिल पा रहा है.
सरकारी स्कूलों में चलाई जा रही महत्वाकांशी मिड डे मील योजना चलाने में भोजन माताओं का दम घुटा जा रहा है. धुएं के गुबार के बीच जिले के सैकड़ो स्कूलों में आज भी भोजन बनाने वाली महिला समूह खाना पकाने को मजबूर हैं.
भोजन पकाने वाली महिला समूहों को भोजन सामाग्री की राशि और मानदेय विगत 4 माह से नही मिल सकी है जिससे घर संचालन के साथ साथ बच्चो को खिलाने के लिए दुकान से उधारी समान लेकर उसकी पूर्ति की जा रही है जिससे बच्चे भूखे न रहे।
सरकार बदलने के बाद क्या अब भोजन बनाने वाली माता को लाभ मिलेगा, क्या स्कूलों में गैस कनेक्शन हो पाएंगे, क्या रुकी मानदेय और राशन का पैसा मिलेगा ..?
जिला शिक्षा अधिकारी जी.पी. भारद्वाज ने बताया कि जिन गांव में गैस सिलेंडर की कनेक्टिविटी नही है वहाँ स्कूलों में आज भी लकड़ी में खाना बन रहा है लेकिन स्कूलों में धुँए को किचन से निकालने के लिए चिमनी या एडजस्ट फैन लगाने के आदेश जारी किए जाएंगे जिसे बच्चो को सुरक्षित माहौल प्राप्त हो,
खाना बनाने वाली महिला समूहों की सैलरी रायपुर से आती है अभी 4 माह से नही आई है पूरे प्रदेश में इस वजह से मानदेय नही मिल पाया है भोजन की राशि भी रायपुर से आती है जो अभी नही आ रही है कुछ दिनों में आने की संभावना है