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शहर में नगर निगम द्वारा निर्मित शॉपिंग कांपलेक्स में दुकानदारों का अवैध कब्जा,मार्केट के गलियारों ने लिया स्थायी दुकानों का रूप,

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नगर निगम क्षेत्रांतर्गत शहर में नगर निगम के कई शॉपिंग कांपलेक्स हैं। जहां व्यवसाइयों को नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के तहत विभिन्न शर्तों के अनुरूप दुकानों का आवंटन किया गया है। जिसमें एक प्रमुख प्रावधान दुकानों के स्वरूप में परिवर्तन न करना एवं बरामदों में कब्जा न करना भी है। लेकिन दुकान स्वामियों द्वारा इसका खुला उल्लंघन किया जा रहा है।

शहर का शायद ही बरामदायुक्त कोई शॉपिंग कांपलेक्स बचा हो जिसके बरामदों में दुकानदारों द्वारा अवैध रूप से कब्जा न किया गया हो। बरामदों में दुकान की सामग्री सजाने के कारण ग्राहकों को आवाजाही के लिए जगह नहीं बनती। खासकर बारिस के मौसम में ग्राहकों को पानी से बचने के लिए सिर छिपाने तक की जगह नहीं बचती है।

शहर की सड़कों पर लगातार बढ़ रहा अतिक्रमण जाम की समस्या को बढ़ावा दे रहा है। शहर के पार्किंग स्थल बाजारों में तब्दील हो चुके हैं तो मार्केट के गलियारे स्थायी दुकानों का रूप ले चुके हैं।

दुकानों के बाहर भी पांच से सात फुट तक ग्राहकों के खड़े होने के लिए बनाए गए बरामदों पर दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है और उसमें भी शटर लगा दिया गया है, दुकान से निकलते ही ठेला व रेहड़ी वाले खड़े रहते हैं तो रही-सही कसर सड़क के दोनों ओर व बीच में खड़े वाहन पूरी कर रहे हैं।

नगर निगम के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम द्वारा निर्मित किसी भी व्यावसायिक परिसर में बिना नगर निगम के अनुमति के दुकानदार किसी प्रकार का कार्य नहीं कर सकता,

अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या दुकानदारों ने किसी भी अतिरिक्त निर्माण के लिए नगर निगम से अनुमति ली है, अगर बिना अनुमति के निर्माण कार्य किया जा रहा है तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, क्या इसमें भी नगर निगम के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है. अतिक्रमण के नाम पर गरीबों की झोपड़िया को तोड़ने वाले अतिक्रमण दस्ता के अधिकारी आखिर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं,

आखिर इन दुकान वालों को क्यों मिली है छूट, और नगर निगम के अधिकारी इन पर क्यों नहीं करते कार्यवाही जल्द ही हम बताएंगे आपको

Jitendra Dadsena

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