भ्रष्टाचार से बनी नोएडा की ट्विन टावर ध्वस्त। भ्रष्टाचार की लड़ाई की कहानी और अंजाम।
नोएडा के सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को ध्वस्त करने का काउंडाउन शुरू हो चुका है. आज दोपहर दो बजकर 30 मिनट पर यह जमींदोज हो जाएगा. अब सभी के मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर कुतुब मिनार से भी ऊंची इस 40 मंजिला इमारत को क्यों ढहाया जा रहा है. इसे गिराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी गई. सुपरटेक बिल्डर की तरफ से नामी वकील इस केस को लड़े लेकिन वह ध्वस्त होने से नहीं बचा सके. इसकी मुख्य वजह थी गैरकानूनी तरीके से बनाई गई यह बिल्डिंग. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के सीनियर अधिकारियों पर सख्त टिप्पणी की थी. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया था कि नोएडा अथॉरिटी एक भ्रष्ट निकाय है. इसकी आंख, नाक, कान और यहां तक कि चेहरे तक भ्रष्टाचार टपकता है. अब समझ सकते हैं सुप्रीम कोर्ट ने आखिर ऐसी टिप्पणी क्यों की थी
बॉयर्स के लिए आसान नहीं थी कानूनी लड़ाई
दरअसल, एमराल्ड कोर्ट सोसायटी के बायर्स ने ट्विन टावर को बनाने में की गई नियमों की अनदेखी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. ट्विन टावर के बगल की सोसायटियों में रहने वाले लोगों का कहना था कि इसे अवैध तरीके से बनाया गया है. कोर्ट में मुकदमा लड़ने वालों का कहना है कि यह लंबी लड़ाई थी. इसे लड़ना इतना आसान भी नहीं था. जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित कर इसे गिराने का आदेश दिया तो रियल स्टेट के सेक्टर में बायर और बिल्डर के बीच हुई कानूनी लड़ाई में इसे बड़ी जीत के तौर पर देखा गया.
सुपरटेक बिल्डर ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया. बिल्डर की तरफ से नामी वकील मुकदमा लड़े. लेकिन बायर्स ने हार नहीं मानी और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही माना और इसे तीन महीने के अंदर यानी नवंबर 2021 को इसे गिराने का आदेश दिया. लेकिन बीच-बीच में किसी न किसी वजह से मामला टलता गया. अब जाकर 28 अगस्त 2022 को दोपहर ढाई बजे इसे गिरा दिया गया
नोएडा अथॉरिटी के साथ मिलकर किया गया नियमों से खिलवाड़
23 नंवबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित ग्रुप हाउसिंग के लिए प्लॉट नंबर-4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया. इस जमीन पर 14 टावर का नक्शा भी आवंटित किया गया. सभी टावर ग्राउंड प्लोर के साथ 9 मंजिल तक मकान बनाने की मंजूरी दी गई. इसके दो साल बाद यानी 29 दिसंबर 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने संशोधन करते हुए दो मंजिल बनाने और उसका नक्शा पास कर दिया. इसके तहत सुपरटेक बिल्डर को 14 टावर बनाने और ग्राउंड फ्लोर 9 की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट की मंजूरी मिल गई. इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 15 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया. इसके बाद फिर से 16 टावर बनाने की मंजूरी दे दी. 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया. इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 2 मार्च 2012 को संशोधन करते हुए नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ा दिया. इससे दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की इजाजत मिल गई और इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई. दोनों टावर्स के बीच की दूसरी महज 9 मीटर रखी गई. जबकि नियम के मुताबिक कम से कम 16 मीटर की दूरी होना जरुरी है
फ्लैट बॉयर्स ने बिल्डर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में दी चुनौती
आरडब्ल्यू अध्यक्ष उदय भान के अनुसार, फ्लैट बॉयर्स ने 2009 में आरडब्ल्यू बनाया और इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया. ट्विव टावर के अवैध निर्माण को लेकर आरडब्ल्यू सबसे पहले नोएडा अथॉरिटी पहुंचा. यहां सुनवाई नहीं होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. 2014 में हाई कोर्ट ने ट्विन टावर को तोड़ने का आदेश दिया. नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ ने एक कमेटी का गठन किया जिसमें 12 से 15 अधिकारी व कर्मचारियों को इसके लिए दोषी माना गया. इसके बाद एक हाई लेवल जांच कमेटी का गठन किया गया जिसकी रिपोर्ट के बाद 24 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया.
कई बार बदली गई तारीख
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन उसे राहत नहीं मिली. कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को आदेश जारी करते कहा कि इसे तीन महीने के अंदर गिराया जाए. इसके बाद इस तारीख को आगे बढ़ाकर 22 मई 2022 कर दिया गया. लेकिन तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इस दिन भी इसे ध्वस्त नहीं किया जा सका. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित एजेंसियों को मोहलत दी । और आज 28 अगस्त को 2022 को ट्विन टावर को गिरा दिया गया ।