बिना नंबर के सड़क पर दौड़ रहे ट्रैक्टर, विभाग बना मूक दर्शक…..?
कोरबा ऊर्जा नगरी में वाहन की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन विभाग मूक दर्शक बन खड़े है कोरबा जिले में सैंकड़ो ट्रैक्टर है जो बिना नंबर के चल रहे है इस तरफ किसी का ध्यान नही जाता है रोज सैंकड़ो ट्रैक्टर शहर के मध्य और जिले के विभिन्न विभिन्न स्थानो से गुजरते देखा जा सकता है लेकिन देखने की बात यह हैं की इस तरफ किसी अधिकारी की नजर भी नही जाती है कृषि उपयोग के नाम पर ली गई ट्रैक्टर का भी व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है किसके संरक्षण में बिना नंबर की ये ट्रैक्टर सड़को पर दौड़ रही है क्यों विभाग मूक दर्शक बना बैठा है?
क्या इस पर कोई नियम कानून लागू नही होती?
क्या ट्रैक्टर का संचालन करने वाले कानून से बड़े है..?
ऐसे कई सवाल है जो लोगो के मन में चल रहे है लेकिन जवाब नगण्य है
कृषि कार्य में उपयोग होने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली को टैक्स मुक्त रखा गया है इस वजह से भी नंबर लिखवाने में कतराते है ट्रैक्टर मालिक
ट्रैक्टर मालिक द्वारा कृषि कार्य के नाम से पंजीयन कराकर अवैध खनिज उत्खनन या सवारी ढोने में उपयोग किया जाता है। इनके व्यावसायिक कार्यों से आरटीओ को भी हर माह लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान होता है। फिर भी विभाग के अधिकारी इन पर कार्रवाई नहीं करते हैं। एक ओर सरकार किसानों को कृषि कार्य के संसाधनों व यंत्रों पर लाखों रुपए का अनुदान देती है दूसरी तरफ व्यवसायी किसानों की आड़ में शासन से अनुदान प्राप्त कर ट्रैक्टर-ट्रॉली खरीदकर अन्य कार्यों में उपयोग करते हैं। आरटीओ कार्यालय के अनुसार ट्रैक्टर-ट्रॉली का कमर्शियल उपयोग के लिए पंजीयन शुल्क पांच हजार रुपए से अधिक होता है। एक प्रतिशत परिवहन के नाम पर लिया जाता हैं। इससे यातायात नियमों का उल्लंघन हो रहा है साथ ही सड़कों पर तेज गति से दौड़ते ट्रैक्टर से हादसों को निमंत्रण दे रहे हैं।
क्या इस खबर के बाद भी शहर में बिना नंबर के ट्रैक्टर चलेंगे देखने की बात होगी ।