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बालको की उन्नति परियोजना से बनी चॉकलेट ने महिलाओं को बनाया उद्यमशील। बाल्को महिलाओं को स्वालंबी बनाने समय समय पर विभिन्न योजनाएं लाती है

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बालकोनगर, वेदांता की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपनी उन्नति परियोजना के अंतर्गत नए उत्पादों को लॉन्च कर विश्व चॉकलेट दिवस मनाया। स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) द्वारा घर में बनाएं गए स्वादिष्ट ब्लूबेरी और क्रैनबेरी चॉकलेट का नया संग्रह जोड़ा है जिसे ‘उनचॉक’ ब्रांड के तहत बेचा जाता है। चॉकलेट कंपनी की छत्तीसा पहल के तहत ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाई जाती हैं जो उन्नति परियोजना का हिस्सा है। परियोजना महिलाओं को एसएचजी के माध्यम से सशक्त बनाने एवं संगठित करने तथा उद्यमशीलता के लिए उनकी क्षमताओं और कौशल को सुधारने एवं स्थायी आजीविका के निर्माण पर केंद्रित है। कार्यशालाओं की मदद से लगभग 50 महिलाओं को चॉकलेट बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों में प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से छत्तीसा पहल महिलाओं को व्यवसाय स्थापित करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाए रखने के लिए अतिरिक्त आय का श्रोत है। उनचॉक ब्रांड में चॉकलेट के क्लासिक किस्मों जैसे डार्क चॉकलेट, मिल्क चॉकलेट और व्हाइट चॉकलेट के साथ-साथ बादाम, काजू और किशमिश जैसी विभिन्न प्रकार की चॉकलेट शामिल हैं। स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों ने छतीसा मिशन के तहत पारंपरिक छत्तीसगढ़ व्यंजनों को आधुनिक स्वादों के साथ मिश्रित करते हुए इलायची और चिरौंजी से युक्त चॉकलेट भी पेशकश की है।
स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ पौष्टिक सामग्री की प्राथमिकता को समझते हुए एसएचजी के सदस्यों ने अपने ‘देसी नट्टी’ चॉकलेट में चने और मूंगफली जैसे प्रोटीन युक्त सामग्री को भी शामिल किया है। उपभोक्ता प्रोटीन युक्त संपूर्णता के साथ स्वाद का आनंद ले सकेंगे। छत्तीसा के तहत 7 किस्मों की होममेड चॉकलेट बनायी जाती है जिन्हें उपभोक्ता प्री-ऑर्डर के आधार पर खरीद सकते हैं।
स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों की सराहना करते हुए बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री राजेश कुमार ने कहा कि हम प्रगतिशील समाज की तरफ अग्रसर रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ सकें और लगातार विकसित हो रही दुनिया में नेतृत्व कर सकें। छत्तीसा में होममेड चॉकलेट की शुरूआत न केवल उभरते उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं को पूरा करता है बल्कि हमारे समुदाय की महिलाओं को प्रचलित स्वाद के अनुरूप ढलने के लिए सशक्त भी बनाता है। बालको में सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति हमारा अटूट समर्पण हमें एसएचजी के माध्यम से महिलाओं के लिए सार्थक अवसर पैदा करने के लिए प्रेरित करता है। उन्नति परियोजना महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी उद्यमशीलता की भावना को बढ़ाने और उनके पूरे समुदायों के लिए एक उज्जवल भविष्य को आकार देने की दिशा में हमारे केंद्रित प्रयासों का एक प्रमाण है।
छतीसा की चॉकलेट बनाने वाली लाभान्वित प्रतिभागी धनेश्वरी गोस्वामी ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं घर पर चॉकलेट बनाऊंगी, जैसी कि हम बाजार से खरीदते हैं। बालको के कार्यशालाओं का धन्यवाद जिन्होंने मुझे चॉकलेट बनाने के कौशल में सक्षम किया। हम चॉकलेट को बाजारों में बेच अतिरिक्त आय प्राप्ति कर आजीविका चला पाने में सक्षम हुए हैं। आज मुझे चॉकलेट उत्पादन और बिक्री में शामिल होने के साथ-साथ चॉकलेट बनाने की इच्छा रखने वाली अन्य महिलाओं को सलाह देने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
‘परियोजना उन्नति’ का संचालन स्वयंसेवी संगठन जीपीआर स्ट्रैटेजीज एंड सोल्यूशंस के सहयोग से किया जा रहा है। इसके जरिए महिलाओं को अनेक गतिविधियों से जोड़ा गया है जिससे उन्हें आजीविका प्राप्त करने और खुद के पैरों पर खड़े होने में मदद मिली है। इस वित्तीय वर्ष में 40 से अधिक नए एसएचजी का गठन किया गया है। कोरबा के 45 शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 500 स्वयं सहायता समूहों की लगभग 5300 महिलाओं को विभिन्न कार्यक्रमों से लाभ मिल रहा है। परियोजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन विकास की दिशा में कार्य जारी है। महिलाओं को क्षमता निर्माण, वित्तीय प्रबंधन, सूक्ष्म उद्यमों के प्रचालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


Jitendra Dadsena

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