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कोरबा नरसिंह गंगा में नहाने से धूल जाते है सारे पाप, प्रशासन की अनदेखी का शिकार हुआ नरसिंह गंगा,

कोरबा, छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसा झरना है जिसके पानी से नहाने मात्र से सारे पाप धुल जाने की मान्यता है. नरसिंह गंगा के नाम के इस अनूठे जलप्रपात को गंगा नदी के जल की तरह पवित्र माना जाता है. इसी पानी से वहां मौजूद प्राचीन शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. कोरबा जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर और पाली ब्लॉक के चैतमा से करीब 11 किलोमीटर दूर 500 फीट ऊंचाई से गिरने वाले इस झरने की एक और खासियत है कि इसका पानी कभी सूखता नहीं है,

नरसिंह गंगा झरना के पहाड़ के आसपास कोई नदी नहीं है, इसलिए इस झरने में पानी कहां से आता है, यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है. पहाड़ के सबसे ऊपर लगभग 100 एकड़ समतल मैदान है. हालांकि, वहां तक पहुंचना कठिन है. इसलिए अब तक बहुत कम लोग ही उस जगह तक पहुंच सके हैं,

महाशिवरात्रि में भगवान नरसिंह की विशेष पूजा की जाती है. आसपास के भक्त बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं और झरने के पानी से नरसिंह भगवान का जलाभिषेक करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा और दोनों ही नवरात्र में यहां मेला लगता है. इसके आसपास प्राचीन गुफाएं हैं. पहाड़ के ऊपर पलमाई देवी और नरसिंह भगवान का मंदिर है. सावन में यहां बड़ी तादाद में भक्त कांवड़ ले कर पहुंचते हैं,

नरसिंह गंगा में नहाने से धुल जाते हैं पाप

नरसिंह-गंगा के 65 वर्षीय पुजारी कुमार साय ने बताया कि नरसिंह गंगा झरना का पानी काफी पवित्र माना जाता है. इसके जल से स्नान और मन में विश्वास रख भगवान नरसिंह से मांगी गई मन्नत पूरी होती है. जनहितैषी कार्य सफल होते हैं. वहीं, स्वार्थ सिद्ध के लिए आने वाले लोगों के ऊपर झरना का जल ही नहीं पड़ता. श्रद्धालु नहाने से पहले नरसिंह भगवान की स्तुति करते हैं. थोड़ा चावल व रुपये धारा में अर्पण करने के बाद नहाते हैं. इस तरह उनके पाप इस झरने में धुल जाता है.

इस जगह को मंदिर के पुजारी के दादा इतवार सिंह ने सबसे पहले देखा था. जिसके बाद उन्होंने इसकी सूचना लाफा और छुरी के जमींदार को दी थी. उस दौर के बाद से जमीदारों ने ही यहां पूजा-पाठ शुरू करवाया था,

कोरबा जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर नरसिंह गंगा झरना तक दोपहिया या चारपहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है. कोरबा से चैतमा तक बस की भी सुविधा है. चैतमा बस स्टैंड से थोड़ा आगे दाहिने तरफ झरना पहुंचने का रास्ता है. यहां से 12 किलोमीटर दूर जाने के लिए दोपहिया या फिर चारपहिया वाहन की व्यवस्था करनी होगी,

Jitendra Dadsena

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