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प्रवासी पक्षियों को लेकर वन विभाग सुस्त, इस वर्ष सर्वाधिक 300 से अधिक प्रवासी पक्षियों ने तोड़ा दम,

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कोरबा, वन विभाग का कारनामा किसी से छुपा नहीं है, वन विभाग पशु पक्षियों को लेकर जरा भी ध्यान नही दे रहा है जिससे प्रवासी पक्षियों के जीवन पर संकट पैदा हो गया है प्रवासी पक्षियों को लेकर वन विभाग द्वारा पूर्व से भी कोई तैयारी नही की गई थी पेड़ो में जाली लगाना सांपो और रेंगने वाले जंतुओं से पक्षियों को बचाने पेड़ के तानों में भी किसी प्रकार का कांटा तार का उपयोग नही किया गया था, जिससे जंगली जानवर पेड़ो में चढ़ कर प्रवासी पक्षियों और उनके बच्चो को मार कर गिरा रहा है खबर प्रकाशन के बाद वन विभाग के द्वारा निरीक्षण किया गया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नही की गई जिससे आज भी प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है, वन विभाग की कुंभकर्णीय नींद कब खुलेगी इस बात का इंतजार कनकी ग्राम के ग्राम वासी कर रहे है, पक्षियों के लगातार होते मौत से गांव में तरह तरह की बाते देखने को मिल रही है लोग दबी जबान वन विभाग पर कार्य नही कर पैसे गबन करने की बात कह रहे है,

कौन है प्रवासी पक्षी कहा से आते है

कनकी में पक्षियों का प्रजनन काल जून-जुलाई से लेकर सितंबर और नवंबर तक माना जाता है, वहीं श्रीलंका और दक्षिण भारत में नवंबर से मार्च तक है। कनकी में अपने प्रवास के दौरान यह इमली, बरगद और पीपल के जिस पेड़ पर घोंसला बनाते है, अगले साल भी वह उसी पेड़ पर आकर फिर से घोंसला बनाते हैं और प्रजनन करते है।
प्रवासी पक्षियों को एशियन बिल स्टार्क कहते है

Jitendra Dadsena

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