कलेक्टर श्री झा के निर्देश पर कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि अधिकारी पहुंच रहे खेतों तक ।
कलेक्टर संजीव झा के निर्देश पर चालू खरीफ सीजन में धान फसलों को कीट व्याधि के प्रकोप से बचाने के लिए किसानों को जरूरी सलाह देने कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि अधिकारी खेतों तक पहुंच रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र लखनपुर के वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के संयुक्त दल ने आज विकासखंड पोंडी उपरोड़ा के ग्राम गुडरूमुड़ा एवं हथमार, घरी पखना में धान में कीट व्याधि का निरीक्षण किया। जिसमे धान के फसल में तना छेदक एवं जीवाणु जनित झुलसा रोग के लक्षण दिखाई दिए। अधिकारियों द्वारा किसानों को आज की स्थित में किसी भी प्रकार के कीटनाशक के उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई एवं अगली बार धान की फसल में इस प्रकार की रोग दिखने पर प्रोफानोफोस, साइपरमेट्रिन का कीटनाशक 3 से 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में उपयोग कर 6 से 8 स्प्रेयर झिड़काव करने के लिए कहा गया। साथ ही जीवाणु जनित रोग के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन या कोई भी बैक्टेरिसाइड 10 ग्राम प्रति एकड़ के दर से उपयोग करने की सलाह दी गई। इसके अलावा प्रकाश प्रपंश का भी इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बर्तन में पानी और थोड़ा कीटनाशक दवाई मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखने कहा गया। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगें। इस प्रपंश से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा। कृषि अधिकारियों ने कहा की कृषकगण कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें, कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि विभाग से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें।
कृषि अधिकारियों ने गांव में चौपाल लगाकर वर्तमान खरीफ फसल में लगने वाले कीट बिमारियों की रोकथाम हेतु कृषकों को सलाह दी । साथ ही कृषकों के खेतों का निरीक्षण कर किट बिमारी के कारण उनकी पहचान एवं रोकथाम के लिए दवाई के बारे में बताया गया । कृषि विभाग द्वारा कृषकों के खेतों में सतत् भ्रमण कर निगरानी रखने मैदानी अमले को निर्देशित किया गया। इस कार्यक्रम में ग्राम के किसान एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री राजेश भारती एवं कृषि विज्ञान केंद्र से कृषि वैज्ञानिक श्रीमती अर्चना क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी किरण राठौर उपस्थित रहे। कृषक गण अन्य प्रकार के यदि कोई रोग फसल में दिखाई दे तो अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी या विकासखंडों में संचालित कृषि कार्यालयों में सम्पर्क कर सकते है।